आज के दौर में शहर में कई लेडीज क्लब हैं, जो समय-समय पर पार्टीज करते हैं। भोपाल में यह क्लब कल्चर बेगमों के समय से रहा है। 1909 में भोपाल में अली मंजिल को लेडीज क्लब में तब्दील किया गया था। इस लेडीज क्लब की कहानी बता रही हैं पुरातत्वविद पूजा सक्सेना।
नवाब शाहजहां बेगम ने शाहजहांनाबाद में ताजमहल बनवाने के बाद इसके ठीक पीछे अली मंजिल बनवाया। इसके पार्क में वे रोज सुबह-शाम वॉक के लिए जाती थीं और लौटते वक्त आस-पास हो रहे कंस्ट्रक्शन वर्क का मुआयना करती थीं।
शाहजहां बेगम के बाद उनके बेटी सुल्तानजहां बेगम नवाब बनीं, जिनका कार्यकाल 1901-1925 तक रहा। सुल्तान जहां ने 1909 में अली मंजिल को लेडीज क्लब के रूप में विकसित किया। उस वक्त लॉर्ड मिंटो और लेडी मिंटो भोपाल आए हुए थे। ‘प्रिंसेज ऑफ वेल्स लेडीज क्लब’ नाम के इस लेडीज क्लब का उद्घाटन बेगम ने लेडी मिंटो से करवाया। उद्घाटन के समय बेगम ने लेडी मिंटो को सोने की चाभी दी, जिससे अली मंजिल का ताला खोलकर उन्होंने इसका उद्घाटन किया।

उद्घाटन भाषण
उद्घाटन समारोह में लेडी मिंटो ने भाषण दिया कि, इस तरह के क्लब इंग्लैंड में ही होते हैं और इंग्लैंड के क्लब्स के बारे में कई बातें यहां बताईं। लेकिन, जब बेगम ने भाषण दिया तो कहा, यह सोशल क्लब होगा, जहां यूरोपियन और एंग्लो-इंडियन लेडीज मेम्बरशिप लेंगी। इसकी फीस होगी, ताकि मेंटेनेंस हो सके और सोशलवर्क के लिए पैसे एकत्रित हों। यहां लेक्चर हुआ करेंगे, रिसर्च पेपर्स पढ़े जाएंगे। महिलाओं से जुड़े विषयों से संबंधित रिसर्च पेपर पढ़े जाएंगे और सबसे पहला पेपर मैं खुद पढूंगी।
2 साल बाद 1911 में बेगम सुल्तान जहां इंग्लैंड गईं और लेडी मिंटो, लेडी एनास्रिम से मिलीं। वहां भी उन्होंने बेगम से भोपाल के लेडीज क्लब के बारे में पूछा। इससे पता चलता है कि इस क्लब ने लेडी मिंटो के जेहन पर कितनी गहरी छाप छोड़ी थी। आज यह इमारत पीडब्ल्यूडी के तहत है और यहां कस्तूरबा गर्ल्स कॉलेज चलता है।